नई दिल्ली:
अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर सुनवाई होने तक उनकी रिहाई के आदेश पर रोक लगा दी। प्रवर्तन निदेशालय ने आज तिहाड़ जेल से रिहा होने से कुछ घंटे पहले ही मामले में श्री केजरीवाल की जमानत को चुनौती दी।
ईडी ने न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा की पीठ के समक्ष निचली अदालत के तत्काल सुनवाई के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका का उल्लेख किया। पीठ ने कहा कि मामले की फाइल 10-15 मिनट में उसके पास आ जाएगी और उसके बाद वह मामले की सुनवाई करेगी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि तब तक निचली अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
श्री केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को बधाई देने के लिए आज शाम 4 बजे तिहाड़ जेल जाने की योजना बनाई थी।
कल दिल्ली की एक अदालत ने श्री केजरीवाल को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन उन्हें राहत देने से पहले कुछ शर्तें भी लगाईं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने श्री केजरीवाल की इस दलील को स्वीकार कर लिया था कि जांच एजेंसी ने 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के बाद से पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए हैं।
निचली अदालतों में कई दौर की सुनवाई के बाद जमानत मिली। अरविंद केजरीवाल उन्हें बार-बार ज़मानत देने से इनकार किया गया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस्तीफ़े की मांग के बावजूद उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है।
मई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत दी थी। चुनाव परिणाम घोषित होने से दो दिन पहले वे जेल वापस आ गए।
ईडी ने 2021-22 के लिए दिल्ली शराब नीति तैयार करते समय मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में श्री केजरीवाल को गिरफ्तार किया था, जिसे बाद में उपराज्यपाल द्वारा लाल झंडा उठाए जाने के बाद रद्द कर दिया गया था। ईडी ने आरोप लगाया है कि श्री केजरीवाल को शराब विक्रेताओं से मिले पैसे का इस्तेमाल गोवा में पार्टी के अभियान के लिए किया गया था क्योंकि वह आप के संयोजक हैं।