INS Imphal is a symbol of India’s growing maritime power, read The Hindu article of 31 December | The Hindu हिंदी में: भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रतीक है INS इम्‍फाल, पढ़‍िए 31 दिसंबर का आर्टिकल


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42 मिनट पहले

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हाल के सालों में इंडियन ओशन रीजन में भारत की चुनौतियां बढ़ी हैं। ऐसे में, इस जहाज का नौसेना में शामिल होना भारत के लड़ाकू जहाजों की क्षमता बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी था।

27 दिसंबर को, चार P-15B ‘विशाखापट्टनम’ श्रेणी के स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में से तीसरे को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में INS इम्‍फाल के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इम्‍फाल को पूर्वोत्तर के एक शहर के नाम पर पहली वॉरशिप होने का गौरव प्राप्त है। इसके अलावा, नौसेना के अनुसार, इम्‍फाल को बनाने और उसके परीक्षणों में लगा समय किसी भी स्वदेशी डिस्ट्रॉयर के लिए सबसे कम है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना के स्वागत समारोह में कहा कि INS इम्‍फाल भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनकर उभर रहा है। इसके नौसेना में आने के साथ ही, भारत की समुद्री शक्ति और मजबूत होगी। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे सिद्धांत ‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’ (जो समुद्र पर नियंत्रण रखता है, वही शक्तिशाली होता है) को बल देगा।

इम्‍फाल जहाज का तल 19 मई, 2017 में बनना शुरू हुआ और 20 अप्रैल, 2019 में इसे पानी में उतारा गया था। इम्‍फाल को समुद्र में जांचों के लिए 28 अप्रैल, 2023 में उतारा गया। इसने तट और समुद्र में व्यापक जांचों का सफलता के साथ सामना किया। 6 महीने बाद 20 अक्टूबर को इसे नौसेना को सौंप दिया गया, जो कि इस आकार के जहाज की जांच में लगने वाला सबसे कम समय है। नौसेना में शामिल किए जाने से पहले इस जहाज पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था, जिससे यह जहाज युद्ध के लिए तैयार माना जा रहा है।

वॉरशिप्स का विस्तार
इंडियन ओशन रीजन (IOR) और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का सामना करने और अपने हितों की रक्षा के लिए भारतीय नौसेना को अपने लड़ाकू जहाजों की संख्या को तेजी से बढ़ाना पड़ेगा। IOR में चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाना विशेष रूप से जरुरी हो गया है।

उन्‍होंने INS इम्फाल को राष्ट्र की विभिन्न शक्तियों का एक समूह बताया। इस जहाज पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें लगाई गई हैं, जिसमें ‘लार्सन एंड टर्बो (L&T)’ द्वारा टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर, BHEL द्वारा रैपिड गन माउंट और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा मध्यम दूरी की मिसाइलें शामिल हैं।

इसके अलावा, इसके निर्माण में कई स्टार्ट-अप्स और सूक्ष्म(माइक्रो), छोटे, मध्यम उद्यम शामिल हैं। यह जहाज, लगभग 75% उच्च स्तर के स्वदेशीकरण का दावा करता है। जिसमें स्वदेशी उपकरण/सिस्टम, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एकीकृत (इंटीग्रेटेड) प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम शामिल हैं।

इन चार जहाजों को बनाने के लिए जनवरी 2011 में प्रोजेक्ट 15–B के तहत 29,643 करोड़ रूपए का ठेका दिया गया। इस जहाज का डिजाइन देश के डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया और इसे बनाने का काम मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने किया।

P–15B श्रेणी के जहाज, P–15A का ही बेहतर रूप हैं और इन्हें देश के चारों कोनों के शहरों – विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, इम्‍फाल और सूरत के नाम पर रखा गया है। पहले दो जहाजों INS विशाखापत्तनम और INS मोरमुगाओ को क्रमशः 2021 और 2022 में नौसेना में शामिल किया गया। इस श्रेणी के आखरी जहाज, INS सूरत को 2024 तक शामिल होना है।

प्रोजेक्ट 15B में कोलकाता श्रेणी के जहाज के ढांचे, प्रोपल्शन मशीनरी, प्लेटफार्म उपकरण, हथियार और सेंसर उपयोग किए गए हैं ताकि मौजूदा उत्पादन / निर्माण क्षमता का अधिक उपयोग किया जा सके। हालांकि, पुराने जहाजों की तुलना में, इन जहाजों में खुद को रडार की नजर से बचाने की बेहतर क्षमता है। इनकी पतवारों पर विशेष प्लाटिंग की गई है और डेक पर रडार से छुपने वाले फिटिंग लगाए गए हैं, जिसकी मदद से इन जहाजों को पकड़ना बेहद मुश्किल है।

INS इम्‍फाल की लंबाई 163 मीटर और चौड़ाई 17 मीटर है, इसका वजन 7400 टन है। इस जहाज को चलाने के लिए गैस की चार टरबाइन का उपयोग होता है और यह समुद्र में 30 नॉट की गति हासिल करने में सक्षम है। इस जहाज पर एक साथ 315 लोग सवार हो सकते हैं और इसका नेतृत्व कैप्टन के. के. चौधरी करते हैं, जो की तोपों और मिसाइलों के विशेषज्ञ हैं।

लेखक – दिनाकर पेरी

स्रोत : हिन्दू



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